पुरुषों के लिए ''छिनाला'' शब्द..., कब सुधरेंगे हमारे माननीय.-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Wednesday, August 4, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
क्यों करें समय का खर्चा
सीधे करते हैं चर्चा
गिरीश पंकज कहते हैं- पुरुषों के लिए ''छिनाला'' शब्द...
साहित्य में इन दिनों ''छिनालवाद'' का सहसा नव-उदय हुआ है. इसके आविष्कर्ता है वर्धा के अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति विभूतिनारायण राय. यह ''छिनालवाद'' इस वक्त सुर्ख़ियों में है और लम्बे समय तक रहे...
देश के जनप्रतिनिधि अपनी कारगुजारियों के लिये कम बदनाम नहीं हैं.कभी पैसा लेकर सवाल पूछने को लेकर तो कभी संसद में लात-घूंसे चलने को लेकर वे चर्चा में बने रहते हैं.संसद से गायब रहना तो अधिकतर जन्प्रतिनिधियों ...
प्रिय बन्धु संस्कृतप्रशिक्षणकक्ष्या - अष्टम: अभ्यास: संस्कृतप्रशिक्षणकक्ष्या -अष्टम: अभ्यास: सहयोग के लिये धन्यवाद
मित्रों, पिछले सप्ताह कुछ दिनों के लिए ब्लॉग सक्रियता से अवकाश लेकर हम अपने काशी काबा में धूनी रमाये बैठे रहे। इस धूनी यज्ञ में हम इस कदर व्यस्त रहे कि मित्र अजय झा एवं राजीव तनेजा जी के स्नेह निमंत...
"आय हाय!....आज फिर कबाड़ उठा लाए?” बीवी D.V.D भरे लिफ़ाफे को गुस्से से पलंग पे पटकते हुए बोली "कुछ अक्ल-वक्ल भी है कि नहीं?...अभी पिछ्ली वाली तो देखी नहीं गयी ढंग से...ऊपर से और...
अपन शुरू से ही मस्तमौला टाईप के प्राणी रहे हैं .......जहां बैठे वहीं धूनी शूनी जमा ली ....ये नहीं देखा कि ....कंपनी देने के इंसान साथ बैठेंगे या भूत प्रेतों की टोली ............जो जैसा मिला ..उसीसे ...
(1) * *जाति-पाँति के जाल में, जकड़ा अपना देश।* *आरक्षण की आड़ में, बिगड़ रहा परिवेश।।* * * *(2) * *जूता केवल पाँव में, पाता है सम्मान।* *जूता जब सिर पर चढ़े, कर देता अपमान।।* * * *(3) * *दूल्हा-दुल्हिन म...
मैं नास्तिक हूँ। मैं हिन्दू हूँ। मैं किसी विचारधारा से नहीं बँधा हूँ। मैं हिन्दू हूँ। रामजन्मभूमि विवाद पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और न्यायालय के आदेश के आने के पहले धर्मान्ध, मतान्ध देशद्रोहियों द्वा...
लीजिये ललितजी किल्कीपाड रागनी जैसा कि मैनें आपसे वादा किया था। अब इसमें श्रोताओं को थोडी शालीनता की कमी लगे तो दोष मेरा नहीं है। हरियाणा में जब उपरां-तली रागनी कॉम्पटीशन होते हैं तो थोडा-बहुत द्विअर्थी संव...
अदम गोंडवी- जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिये। आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिये। जो बदल सकती है इस पुलिया के मौसम का मिजाज़, उस युवा पीढ़ी के चेहरे की हताशा देखिये । जल रहा है देश यह बहला ...
श्याम बिन ज़िन्दगी गुजरती नहीं है राधे नाम बिन ये सँवरती नहीं है श्याम बिन ..................................... १) पीले पड़ गए हैं ये शाखों के पत्ते -२- उजड़ गया है ये मधुबन सारा -२- गोविन्द बिन कु...
मुस्कुरा के निकल गये...
लगा के दाग दामन में॥ मुस्करा के निकल गए॥ हमें छोड़ कर अकेले॥ गम ये दर्दे पिला गए॥ किस्मत में यही लिखा था॥ ओढ़ ली सफ़ेद साडी॥ अब रही न मै अकेली॥ गोद भी नहीं है खाली॥ जाते जाते अपनी निशानी॥ पेट में छु...
आज आसमांके आंसू की भाषा समजी बेबस थे वह भी ,ना जाने वो संदेस जो भेजा था किसी बावरीने पियाको अपने , बूंदोंके साथ कहीं फिसल गया बस एक चाह बन गयी है तुम्हे भूल जाऊं सब कु...
कल फिर मिलेंगे
4 comments:
उम्दा चौपाल ..नए लिंक्स मिले
vaah rajkumaar, yah hai nazar....sahi vishay ko sheershak banaayaa diyaa. anya link bhi behad achchhe hai. badhai iss mehanat k liye...
राजकुमार जी, बहुत अच्छी लगी आपकी यह संक्षिप्त और सार्थक चर्चा।
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अंधेरे का राही...
किस तरह अश्लील है कविता...
MAHODYA, CHARCHA KE LIYE SIRF GINE CHUNE APNE LOGON KI POSTS HI AAPKO DIKHAI DETI HAIN ?
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