पहियों पर दौडती जिंदगी, रेल के डिब्बों में देखा खेल संसार-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Tuesday, August 10, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
काम ज्यादा है समय कम
फिऱ भी चर्चा करने से बाज नहीं आते हम ....
न न .........न तो मेरी टूर एंड ट्रेवेल्स टाईप की कोई नौकरी है...........और न ही मैं बस या ट्रक चलाता हूं ...आप्स सोच रहे होंगे कि तो आखिर फ़िर क्यों लिखा मैंने कि पहियों पर दौडती जिंदगी ......। जो कुछ चंद...
कामनवेल्थ एक्सप्रेस के जैसे ही राजधानी में होने की जानकारी यहां के खेल प्रेमियों को हुई, राजधानी से खेल प्रेमियों का कारवां चल पड़ा स्टेशन की ओर। सुबह से लेकर रात तक खेल प्रेमी रेल के डिब्बों में खेल के ...
(1) * *गौतम, गांधी, बोस की, हैं सच्ची तस्वीर।* *नन्हे सुमन जगायेंगे, भारत की तकदीर।।* *(2) * *बेरंग होने में सदा, आता है आनन्द।* *झंझावातो में भला, किसे सुहाते रंग।। * *(3) * *हँसने से कट जायंगे, सारे द.
देसिल बयना-42 अरब न दरब झूठ का गौरब करण समस्तीपुरी एंह... गाँव-घर के रमन-चमन का एगो अलगे मजा है। ई रंग-रहस, उ अलमस्ती, हे उ अपनापन... गालियो दे तो लगे फूले बरसता है। ससुर डांट-डपट में भी छुर-छुरा के ह...
माँ को अर्पित चौपदे: संजीव 'सलिल' बारिश में आँचल को छतरी, बना बचाती थी मुझको माँ. जाड़े में दुबका गोदी में, मुझे सुलाती थी गाकर माँ.. गर्मी में आँचल का पंखा, झलती कहती ...
यह ग़ज़ल उन मित्रों के लिये हैं जो बहुत अच्छे इनसान है मगर तथाकथित लोगों से हैरान-परेशान है. आज हम यही देख रहे है हर कहीं तथाकथित लोग ही नायक बने हुए है. फिर भी....मैं मानता हूँ कि एक दिन सच जीतता है. प्रति...
खामोशियों की पैरहन को आँखों की बारिश ने भिगो दिया है इतना कि चिपक कर रह गयी है जेहन से इसे उतारने की कोशिश भी नाकाम हो चली है .. .
अभी भी थोड़ी दिक्कत है काबू नहीं आ रहा हिंदी टंकण के टूल्स नहीं मिल रहे यह टाइपिंग याने पहले रोमन में लिख स्पेस दबा कर काम चला रहा हूँ फिलहाल एक दोहा और देखें कि संबंधों कि व्याकरण, निजता के अनुबंध. जीव...
अनामिका की सदायें में देखें- खामोशियाँ
कल फिर मिलेंगे
कई बार * *खामोशियाँ भी * *कितने झन्झावात ले आती हैं .* *खामोशियाँ ...* *खामोशियाँ ना रह कर * *विचारों की * *उठा -पटक करती हैं * *मानस पटल पर.* * * *मैं ख़ामोशी की * *चादर ओढ़ * *अपने...
कॉलेज में एक आल्हादित साथी ने प्रसन्नमुख बताया कि आज विष्णु खरे ने जनसत्ता में खूब खरी खरी (खरी खोटी) सुनाई है हिन्दी के पाखंडियों को। मैं तो सहम गया क्योंकि जब भी हिन्दी के पाखंडियों, हिन्दीखोर...
सर्वत जमाल- अमीर कहता है इक जलतरंग है दुनिया। गरीब कहते हैं क्यों हम पे तंग है दुनिया। घना अँधेरा, कोई दर न कोई रोशनदान, हमारे वास्ते शायद सुरंग है दुनिया । बस एक हम हैं जो तन्हाई के सहारे हैं, तुम्हारा...
अविनाश वाचस्पति बता रहे हैं- करप्शनवेल्थ गेम्स और आंखिन कर : 10 अगस्त 2010 के डीएलए में पढि़ए
अच्छा तो हम चलते हैंकरप्शनवेल्थ गेम्स और आंखिन कर
आज से ठीक चार दिन बाद हम अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहे होंगे.. ब्लोगर नीरज भदवार ठीक कहते है कि दरअसल हमें आज़ादी मिल तो गयी पर अब हमें पता ही नहीं कि इसका करे क्या? कश्मीर में उठती लपटों के बारे में सोचने ...
आप सभी को हरियाली की बहुत बहुत शुभकामनाएं* *जादू टोना मन्त्र-तंत्र, कलजुग के सारे यंत्र-तंत्र * *रख सद्भाव करें जागृत, आवें काम सर्वदा जनहित * *आपदाओं को दूर करे, आतंकी अत्याचारी डरे * *विश्व-शांति मिशन ...
आज भी बच्चों के जन्म पर छठी के दिन पन्डित से पूजा-पाठ और यज्ञ आदि करवा कर कुण्डली बनवाने और राशि,नक्षत्र आदि से नाम निकलवाने की रीत है। बिटिया का नाम 'उ या ऊ' से निकला तो मैनें बिटिया का नाम उर्वशी रखा। घर...
आज प्रस्तुत है ग़ालिब साहब की यह गज़ल जो मुझे बेहद पसंद है * *न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता * *डुबोया मुझको होने ने , न होता मैं तो क्या होता * *हुआ जब ग़म से यों बेहिस, तो ग़म क्या सर के क...
कल फिर मिलेंगे
3 comments:
उम्दा चौपाल ....आभार
बढिया चौपाल सजाई है।
सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।
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