बीवी बोली-खोल आँखें देख हिन्दुस्तान बेचा जा रहा है...-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Monday, August 30, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
बस अब ज्यादा समय नहीं है हमारे पत्रिका खेलगढ़ का काम अंतिम चरण में है, इसके बाद हम ज्यादा समय दे पाएंगे अपने ब्लागर मित्रों के लिए... चलिए देखें कौन सा ब्लागर क्या कहता है---
बीवी बोली- मैं मर गई तो दूसरी शादी कर लोगे ?* ** ** *मैँ बोला-जो तुम मर गई तो मैँ पागल हो जाऊँगा* ** *और पागल का क्या है भरोसा,वो कुछ भी कर सकता है .* ** *-अमीर मुमकिन सहारनपुरी* ** *(यह त्रिपदी हिन्दी
मिल रही शिक्षा उदर पोषण का बस इक माध्यम है... कर्म से भी पूर्व फल की राह अब तकते नयन हैं... "स्व" का ही पर्याय बन जीवन बिताया जा रहा है... क्या प्रयोजन मातृभूमि के सजल चाहे नयन हैं... गर्व है किस बात का प...
कुछ पाडकास्ट रफ़्तार की मदद से सबसे पहले पेशे खिदमत है आहें ना भरी शिकवे ना किए और ना ही ज़ुबाँ से काम लिया....इफ्तार • रविवार सुबह की कॉफी और एक और क्लास्सिक अंदाज़ के दो • ओल्ड इस गोल्ड ई मेल के बहाने या...
मेरे छाता की यात्रा कथा, और ... सौ जोड़ी घूरती आंखें!!! मनोज कुमार लिंक – भाग-१ (बरसात का एक दिन) , भाग-२ (बदनसीब) , भाग-३ (नकारा) ४. नज़रिया आज सुबह की सैर से वापस आते समय पहले तो धीरे...
नमस्कार , हाज़िर हूँ एक ब्रेक के बाद ….सज गया है काव्य मंच और मंच पर सारी कविताएँ अपनी पात्रता निभा रही हैं …देखना यह है कि आपके मन के अनुरूप कौन सी रचना आपको भाती है …आज विशेष चर्चा में आपको मिलवा रही हू...
आज शाम को अपने शहर की सड़कों को नापने के नियमित क्रम में हमारी मुलाकात हमारे एक मित्र से हो गई जो मानदेय प्रवक्ता के रूप में पास के जिले के महाविद्यालय में कार्यरत हैं। (मानदेय प्रवक्ता के बारे में
कविता बनाने बैठा था, मगर वक्त और आत्मउत्साह की कमी के कारण सिर्फ चार ही लाईने बन पाई ; किसने कब यह सोचा था, वक्त का ऐसा एक तकाजा होगा, अन्धेर लिये सारी नगरी होगी, अन्धों मे काना राजा होगा । महंगाई से त्रस्...
मैं कई दिनों से प्रतीक्षा कर रहा हूँ कि ; फिर कोई प्रस्ताव पटल पर रखा जायेगा, पर कोई प्रस्ताव नहीं आ रहा। इसलिए ऐसा लग रहा है कि मानो भारत में कोई समस्या ही ना हो । हालाँकि सामाजिक,राजनीतिक और आर्थिक समस्य...
फिल्मी पर्दे को छोड़ दें, वह तो बहुत बड़ी बात है, टीवी के छोटे पर्दे पर भी अपना चेहरा दिखाने और खुद अवतरित होने के लिए आज की कन्याएं कुछ भी करने को आतुर और लालायित रहती हैं। पर क्या इसकी कल्पना भी की जा सकती...
वन्दना द्वारा ज़ख्म…जो फूलों ने दिये
अंतर्मन के सागर की अथाह गहराइयों में उपजी पीड़ा का दर्द छटपटाहट, बेबसी की जंजीरों में जकड़ी रिश्ते की डोर ना जाने कितनी बार टूटी और टूटकर बार- बार जोड़नी पड़ी इस आस पर शायद मोहब्बत को मुकाम मिल जाये और...
आज 31 अगस्त को - यादों का इंद्रजाल वाले सुलभ जायसवाल - पंजाबी कविताएँ तथा ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਖੁਸ਼ਬੂ वालीं हरकीरत 'हीर' का जनमदिन है। बधाई व शुभकामनाएँ *आने वाले **जनमदिन आदि की जानकारी, अपने ईमेल में प्रा...
7 comments:
अच्छा प्रसंग.
धन्यवाद.
बहुत बढ़िया चौपाल ..अच्छे लिंक्स मिले .
काफ़ी लिंक्स मिले………………सुन्दर चौपाल सजाई है।
बहुत बढिया चर्चा, अच्छे लिंक्स।
हमरी छतरी को स्थान देने के लिए आभार।
राजजी,
नमस्कार।
नमस्कार।
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