संस्कृति के नाम पर होती रही गुंडागर्दी-तमाशा देखती रही खाकी वर्दी- ब्लाग चौपाल राजकुमार ग्वालानी
>> Sunday, August 1, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
कल छुट्टी थी सो अखबार की दुनिया से एक तरह से कटे रहे। घर पर रहकर आराम किया। सुबह अखबार देखा तो मालूम हुआ कि अपने शहर में धर्मसेना के धर्म के ठेकेदारों ने क्या किया है। संस्कृति को बचाने के नाम पर जो काम धर्म के ठेकेदारों ने किया वह वास्तव में बहुत ही शर्मनाक है। क्या ऐसा करने से ही संस्कृति बचेगी, ये सोचने वाली बात है.....
दोस्ती के दिन जो कुछ हमारे शहर में हुआ, वह वास्तव में बहुत दुखद है। धर्मसेना के गुंड़ों ने संस्कृति के नाम पर जिस तरह की गुड़ागर्दी की उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। क्या फ्रेडशिप डे पर भी उसी तरह से लगाम क...
दोस्तों, आज तो दोस्ती के रंगों में सजी पोस्टों से रु-ब-रु हो जाइये और कुछ अलग - अलग रंग ज़माने के भी देखिये ……………उम्मीद है ये रंग आपको पसंद आयेंगे और दिल मे आपके उतर जायेंगे…………… दोस्ती के जज़्बे को ...
मुझे तो पता भी नहीं था कि आज मित्र दिवस है ......क्योंकि आजकल तो सबकुछ , मतलब अपने घर के दिन दिवस के अलावा ..सब कुछ वाया ...इस अंतर्जाल की दुनिया के ही पता चलता है ..। और पिछले दिनों की भारी ब्लॉ...
चार दिन की जिंदगानी जिसमें ढाई आखर प्यार के
पगड़ी का इस्तेमाल हमारे देश में सदियों से होता आया है | प्राचीन काल से ही हमारे यहाँ पगड़ी को व्यक्तित्व,आन,बान,शान और हैसियत का प्रतीक माना जाता रहा है | पगड़ी हमारे देश में चाहे हिन्दू शासक रहें हों या मुस्...
प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 85 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है Jagannath Temple Puri [Orissa] और इसके बारे मे संक्षिप्त..
संबंध-विच्छेद* मनोज कुमार* पिछले दिनों एक समाचार पत्र में पढ़ रहा था कि लंदन के समाचार पत्र डेली मेल के एक सर्वेक्षण के अनुसार प्रत्येक पांचवे व्यक्ति का दिल अपने साथी के लिए नहीं बल्कि किसी और के लि...
विचार तत्व - कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो,आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता ? *-स्वामी विवेकानन्...
आज कई दिनों बाद ब्लॉग संसार में या कहें कि इंटरनेट पर लौटना हुआ। कुछ बिजली के कारण और कुछ अन्य दूसरी व्यस्तताएँ। इधर कई दिनों से समाचार-पत्रों में, इलैक्ट्रॉनिक चैनलों के द्वारा कॉमनवेल्थ गेम्स की तैया...
आज मन बहुत उदास है ! अपनी एक पुरानी कविता बहुत उद्वेलित कर रही है ! इसे आपके साथ बाँटना चाहती हूँ शायद मेरी पीड़ा कुछ कम हो जाये ! सागर का तट मैं एकाकी और उदासी शाम ढलता सूरज देख रही हूँ अपलक और अविराम । जि...
नालायकी और लायकी के बीच घिरती, घूमती एक गुफ़्तगू.. ज़रा ज़िंदगी की टेक, थोड़ा साहित्य के महीन अनुराग, कुछ अपने को कहते, सुनते, समझने के आह, आह्लादकारी सुख.. और हां, वही प्रत्यक्षा बी और पिरमोद सिं बोलते ...
संजय सेन सागर बता रहे हैं- लेखिकाओं को “छिनाल” कहने पर हंगामा, इस्तीफे की मांग अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
बड़ा पेज खोलने के लिए दोनों इमेज पर क्लिक करें* *♦ आशुतोष भारद्वाज* *नयी दिल्ली, 31 जुलाई।*महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति और भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी वीएन राय ने हिं...
आनन्द पाण्डेय कहते हैं- संस्कृतप्रशिक्षणकक्ष्या -सप्तम: अभ्यास:
प्रिय बन्धु संस्कृतप्रशिक्षणकक्ष्या का सप्तम अभ्यास प्रस्तुत कर रहा हूँ । संस्कृतप्रशिक्षणकक्ष्या -सप्तम: अभ्यास: आपके संस्कृतविषयक प्रेम के लिये धन्यवाद ।
ख्वाब यूँ ही दफ़न हो जाते हैं ज़िम्मेदारी की किताबों में परत दर परत.. पन्ने पलटो तो झर जाते हैं सूखे फूल की तरह...
सिद्धार्थ जोशी बता रहे हैं- सतत क्रांति के दौर में...
एक जगह ओशो ने लिखा कि भारत सतत क्रांति के दौर से गुजर रहा है। मैं भी क्रांति करने के मूड में आ गया। कई तरह की क्रांतियां की। जिस जमाने में बच्चों को साइकिल भी नहीं दी जाती थी, उन दिनों में एम-80 चलाई। यान...
कल फिर मिलेंगे
9 comments:
bahut badhiya charcha ..badhaai ho ...
Behtreen Charcha...... bahut khoob!
बहुत उम्दा चौपाल.....आभार
बहुत उम्दा चौपाल.....आभार !
बहुत अच्छी चर्चा।
बहुत सुन्दर चर्चा ! मुझे इस चर्चा में सम्मिलित करने के लिये आभार एवं धन्यवाद !
अच्छी चर्चा, कुछ लिंक यहीं से मिले।
बढ़िया चर्चा रही भाई !!
वाह लाजवाब चर्चा. शुभकामनाएं.
रामराम.
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