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आँसू से भीगा आँचल, गम भूलाने जिगर में होना चाहिए दम-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Saturday, August 28, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
हम आज एक कविता लिखने बैठे थे तब नहीं जानते थे कि आज ब्लाग जगत में कविताओं का अंबार है। जब चौपाल संजाने बैठे तो देखा कि बहुत से ब्लागर मित्रों ने कविता लिखी है, ऐसे में हमने चौपाल का आगाज कविताओं से किया है, इसके आगे भी बहुत कुछ है, हमने आज चर्चा करने वाले सभी चिट्ठों को भी लिया है। हमारी कोशिश सबको एकता के सूत्र में बांधने की है...... 
 
मैं लिये हाथ में बैठी आँसू से भीगा आँचल ! जब संध्या की बेला में उड़ती चिड़ियों की पाँतें, कर याद हाय रो पड़ती बीते युग की वो बातें, जब तुम मुझसे कुछ कहते मैं लज्जा से झुक जाती, मेरी अलकों की लड़ियाँ कानों 
 
सब जानते हैं पीने में है खराबी फिर भी न जाने कैसे बन जाते हैं शराबी क्या सच में गम भूला सकती है शराब कोई तो बताएं हमें भी जनाब हम कहते हैं शराब में नहीं इतना दम जो भूला सके किसी के भी गम गम भूलाने जि...
 
हम तो डूबे हुए अशआर हैं दर्द बिन ग़ज़ल बन नहीं सकते बहर मात्राओं की जुगलबंदी बिन मुकम्मल शेर बन नहीं सकते अब कौन पड़े जुल्फों के पेंचोखम में सनम गिर- गिर के दरिया में अब संभल नहीं सकते उजालों का सदा ही त...
 
ये जिंदगी तेरी याद में गुजरती रही किसी तरह तन्हा कटती रही तेरी जुदाई में थम गया वक्त जैसे मेरी सारी हसरतें सिसकती रही. दुनिया से दूर आशियाँ बनाया है........ जहाँ सिर्फ मै और तेरी यादें हैं तू आये न आये मलाल ...
 
यह दूरियों का सिलसिला कुछ इस तरह चला कभी वो खफा रहे, तो कभी हम खफा रहे रहते थे साथ-साथ मगर आज क्या हुआ कभी वो जुदा रहे, तो कभी हम जुदा रहे वादा जो कर लिया था हमने साथ देने का वो बेवफा रहे, तो हम भी बेव...
 
बारूद तो तुम्हारे सीने मे भी है, मेरे सीने मे भी... बस देखना ये है की चिंगारी पहले किसे छूती है...**------------------------------------------------------- * *रात के घर की रसोई की वो गोल खिड़की खोलो ना.....
 
अपने वक्त पर साथ देते नहीं यह कहते हुए हम थकते कहाँ है ये अपने होते हैं कौन? यह हम समझ पाते कहाँ है! दूसरों को समझाने चले हम अपनों को कितना समझा पाते हैं दूसरों को हम झांकते बहुत पर अपने को...
 
बस नहीं चलता मेरा इन स्साले…ट्रैफिक हवलदारों पर... "मेरा?...मेरा चालान काट मारा?...लाख समझाया कि कुछ ले दे के यहीं मामला निबटा ले लेकिन नहीं…पट्ठे को ईमानदारी के कीड़े ने डंक जो मारा था|...
 
ब्लागर जगत के मित्रों की शिकायत हो सकती है कि कई दिनों से अपने ब्लॉग में कुछ लिख क्यों नहीं रहा हूँ. कुछ व्यक्तिगत कारणों से व्यस्तता के चलते लिख नहीं पाया इसलिए मेरे बुद्धिजीवी मित्रों का ...
 
आप सभी पाठकों को मेरा नमस्‍कार ... बहुत तंग किया आज मुझे इंटरनेट ने , इसके बावजूद इस सप्‍ताह चिट्ठा जगत से जुडे नए चिट्ठों का ब्‍लॉग 4 वार्ता के मंच से स्‍वागत करते हुए मैं संगीता पुरी प्रस्‍तुत हूं , आपक..

नमस्कार , आज रविवार का दिन , यानि कि थोड़ा छुट्टी मनाने का मन …आराम आराम से काम करने का दिन …और मनोज जी तो छुट्टी पर ही चले गए …कोई बात नहीं ..उनकी तरफ से चर्चा ले कर मैं हाज़िर हूँ ..बस आज आप सबकी प्रविष...
 
(सभी से क्षमा याचना - ब्लॉगर की डेट सेटिंग में हुई भूल से यह पोस्ट कल की बजाए आज प्रकाशित हो गई है. इसे कल के लिए रीशेड्यूल तो किया है, पर पुरानी डेट पर प्रकाशित रीशेड्यूल्ड ब्लॉगर पोस्टें हटती नहीं.) ओह!...
 
आगरा ब्‍लॉगर मिलन : एक सचित्र रिपोर्ट
आप खुद ही पहचानें, नहीं पहचान पायें तो पूछ सकते हैं छत की टीन पुरानी उसको तड् तड् नहीं बजाओ................. आगरा में हुआ ब्‍लॉगर्स मिलनब्‍लॉगर्स मिलन 
 
दंतेवाड़ा में नक्सलियों की आड़ में लूट  यह प्रदेश के दमदार माने जाने वाले मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की दमदारी नहीं तो और क्या है कि जिस व्यक्ति का किसी भी सरकारी विभाग में सेवा नहीं है और जिसके संविलियन को हाईक...
 
हैदराबाद के निवासी श्री हरिप्रसाद, जिन्होंने भारतीय इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों में हैकिंग कैसे की जा सकती है और वोटिंग मशीनें सुरक्षित नहीं हैं इस बारे में विस्तृत अध्ययन किया है और उसका प्रदर्शन भी किया 
 
जलवायु परिवर्तन की रोकथाम में स्कूली बच्चो की भूमिका पर जागरूकता कार्यक्रम* स्कूल शिक्षा मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग की गंभीर समस्या के चलते जी...
 
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ई.टी.व्ही. छत्तीसगढ़ राज्य में अपनी कार्य योजनाओं को विस्तार करने की दिशा में प्रयासरत है सूत्रों का कहना है कि शीघ्र ही वह अपनी मार्केटिंग लाइन तैयार करने की ...
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 
 
 
 

5 comments:

राजकुमार ग्वालानी August 28, 2010 at 11:18 PM  

अच्छा हुआ उर्दू में लिखा ललित शर्मा बदल दिया, नहीं तो आपको ही मूलचंदानी समझ लिया जाता...

राजीव तनेजा August 29, 2010 at 10:35 PM  

बढ़िया लिंक्स से सुसज्जित सुन्दर चर्चा ...
मेरी कहानी को शामिल करने के लिए आभार

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