खबरों में से खबर सुनो, असर दवा का श्रेय मिलता है अन्धविश्वासी टोटकों को-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Thursday, August 19, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
एक बार हम फिर हाजिर हैं ब्लाग चौपाल लेकर, हमारी इस चौपाल के कारण हमारे कुछ दोस्त अब दुश्मन दोस्त बन गए हैं जिनकी वजह से हमने अपने एक ब्लाग राजतंत्र में माडरेशन लगा दिया है। हमारी ब्लाग जगत को एकता के सूत्र में बांधने की कोशिश इनको रास नहीं आ रही है। बहरहाल हम चलते हैं आज की चर्चा की तरफ...
"खुश खबरी...खुश खबरी...खुश खबरी"...* पूरे दिल्ली शहर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी नामी और बिगड़ैल रईसजादे ने अपने अनुभवों को..अपनी भावनाओं को...अपनी कामयाबी के रहस्...
मैं अक्सर लोगों से सुनता रहता हूँ कि मैंने फलां मंदिर में फलां मन्नत मांगी और वो पूरी हो गयी ,तो कोई बताता है उसकी बीमारी फलां गुरूजी या देवता के आशीर्वाद से ठीक हो गयी वरना डाक्टरों ने तो मुझे बर्बाद ही क...
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना अबकी बार राखी में जरुर घर आना न चाहे धन-दौलत, न तन का गहना बैठ पास बस दो बोल मीठे बतियाना मत गढ़ना फिर से कोई नया बहाना राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना अबकी बार रा...
मेरी वीणे कुछ तो बोल ! सुना-सुना कुछ प्रियतम हित ही मधुमय अमृत घोल ! मेरी वीणे कुछ तो बोल ! मीठे-मीठे राग सुना कर, प्रियतम के सुन्दर गुण गाकर, इस व्याकुल से उर की उलझी गुत्थी को तू खोल ! मेरी वीणे कुछ..
किसी खास युग में हर क्षेत्र में किसी प्रकार की सफलता प्राप्त करने के लिए चाहे जिन गुणों और ज्ञान का महत्व हो , वे किसी एक व्यक्ति को शीर्ष तक क्यूं न पहुंचा देते हो , उनकी देखा देखी वैसे गुणों को आत्म...
ख़बर मिली है कि आज रात कवि लीलाधर मंडलोई दिल्ली से भिलाई आ रहे हैं , मै इतना खुश हूँ कि उनका कविता संग्रह “ मगर एक आवाज़ “ लेकर बैठ गया हूँ और उनकी कवितायें पढ़ रहा हूँ । वे भिलाई इस्पात संयंत्...
मेरे 50 वे पोस्ट में आपका हार्दिक स्वागत है* आप सब ब्लागर मित्रों के सहयोग एवं हौसला अफजाई का ही परिणाम है कि मैं मात्र 88 दिनों के सफ़र में अर्धशतक तक पहुँच पाया हूँ . मेरा पहला पोस्ट "जल जो न होत
राम के नाम से जन जन में जाने गए उस महा मानव को एक अकिंचन संबोधन यह भी ...* मैंने भी खूब तलाशा, ढूँढा आखिर हैं कौन राम ? भले ही कबीर दादा ने मना कर दिया था -*कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूंढें वन माहि ऐसे घट...
मम्मी ने डांटा पत्रों को पढ़कर या बात को सुनकर हाँ, हूँ, नहीं में याने कम शब्दों में जबाब नहीं दिया करो ... जबाब ऐसा दो की समझ में तो आये की आपने क्या सुना और क्या पढ़ा है .... अब बताइये मैं क्या करूँ ..
खल रही विदेश को, देश की स्वतन्त्रता।* *छल रही है देश को, देश की स्वतन्त्रता।।** * *खा रहे हैं देश की, गा रहे विदेश की,* *खिल्लियाँ उड़ा रहे हैं, भारतीय वेश की,* *संभल रही है दासता, पिघल रही स्वतन्त्रता।
इश्क के पैरों में ना जाने क्यों गम के घुंघरू बंध जाते हैं आँखों में हंसी भी हो तो भी रुखसार पर अश्क के मोती टपक जाते हैं
कुम्भ के बिछड़े भाई-बहिनों का मिलन..-----दीपक मशाल
अभी पिछले हफ्ते ८ अगस्त को लन्दन के भारतीय उच्चायोग से सम्बद्ध सांस्कृतिक केंद्र नेहरु सेंटर में कुछ साहित्यिक हलचल थी.. मौका था यू.के. हिन्दी समिति के गठन के २० वर्ष पूर्ण होने पर कहानी सम्मेलन का आयोजन. ...
राजू रंजन कहते हैं- हिन्दुस्तानी तहजीब के अंग हैं मुसलमान
. .अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
हिन्दी त्रैमासिक *‘आलोचना’* के अंक 91 में* देवी प्रसाद मिश्र *की *‘मुसलमान’*शीर्षक से एक कविता आयी थी। इस पर काफी बहस भी चली। कविता में कवि
कभी-कभी यूँ ही बातचीत में कोई ऐसी बात निकल आती है, जो बहुत महत्त्व की होती है. ऐसा ही हुआ व्यंग्य यात्रा और गगनांचल के सम्पादक प्रेम जनमेजय से बतियाते हुए. सवाल महत्वपूर्ण है कि क्या एक रचनाकार अपनी रचनाओ..
एक बात रह रह कर मन में उठ रही है ..पिछले चंद रोजसे ...इंसान कितनी तरह के होते है ???कोई शांत होता है तो कोई तूफानी ..कोई अपनी बात किसी भी तरह मनवाने की जिद वाला होता है तो कोई बिना कहे ही कुछ बुरा नहीं मान...
गौतम राजरिशी- खबर मिली है जब से ये कि उनको हमसे प्यार है। नशे में तब से चाँद है, सितारों में खुमार है । मैं रोऊँ अपने कत्ल पर, या इस खबर पे रोऊँ मैं, कि का़तिलों का सरगना तो हाय मेरा यार है। ये जादू है ल...
गाय को नहीं करनी राजनीति गाय को जरूरत नहीं नौकरी-ठेकेदारी-प्रमोशन की चमचा-लठैत या दलालों की न ही गाय को बनना है किसी अखबार का संपादक या किसी समारोह का चीफ गेस्ट गाय मेरा यारा-दिलदारा भी नहीं बंधु-बांधव, स...
सब कह्ते हैं तुम्हें मर्यादा पुरुषोत्तम तुम रहे वंशज बडे बडे सूर्यवंशियों के देव, गुरु, साधु ऋषि सभी थे तुम्हें मानते फिर क्यों रहे चुप, जब जब आई तुम पर आंच? जब जब लोगों ने किये तुम पर प्रहार? इतना आसान..
न्यूयार्क यात्रा के पिछले अंक – *१* *२* बात दूर दूर तक फैल चुकी है, रोज समाचारों में भी खूब बहस चल रही है, एलीवेटर टॉक का हिस्सा भी है और भारत में भी अब तो शायद इस पर बहस चल रही होगी, जैसे कहते हैं ना...
आइये साथियों ब्लॉग गुरु की पाठशाला में और हर समस्या का समाधान पाइए ................हा हा हा ब्लॉगिंग गुरु ने स्कूल खोला विज्ञापन लगाया --------- ब्लॉगिंग के गुर सीखिए ------ फायदा ना होने पर बेनामी के रूप...
कल फिर मिलेंगे
6 comments:
बहुत उम्दा चौपाल ...
वाह साब बढ़िया चौपाल जमाई ... पोस्ट को शामिल करने के लिए आभारी हूँ...
सुंदर चिट्ठों का संग्रह !!
अच्छे लिंक्स के साथ सुन्दर चौपाल्।
सुंदर चौपाल सजाई है.
देर से पहुंचा लेकिन पहुंचा तो सही... :-)
बढ़िया लिंक्स को अपने में समेटे सुन्दर पोस्ट ...
मेरी कहानी को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
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