लो अब तो मशीन भी करप्ट होने लगी, ये भरोसा ना टूटे-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Thursday, August 5, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
कल मित्र ने टिप्पणी की थी कि हम चंद ब्लागों को लेते हैं। हम बता दें कि हमने यह चर्चा इसलिए शुरू की है, ताकी ब्लाग जगत में तेरा-मेरा समाप्त हो। हम जानते हैं, यह इतना आसान नहीं है। गुटबाजी करने वाले हमसे खफा हैं। भले वे खफा रहे, लेकिन हम अपना काम जारी रखेंगे। हम जो भी ब्लाग दिखते हैं चाहे वे किसी के भी हो हम उनकी चर्चा जरूर करते हैं। टिपप्णी करने वाले मित्र का ब्लाग जून के बाद से अपडेट ही नहीं हुआ है तो उनके ब्लाग की चर्चा कैसे हो सकती है। बहरहाल आज देखें कौन क्या कहता है- ....
एक छोटी सी पोस्ट।आज आफ़िस देर से पंहुचा।दोपहर को ला मेग्नस स्कूल आफ़ बिज़नेस मैनेजमैंट के कामन रूम के उद्घाटन मे ही देर हो गई थी।आफ़िस पंहुचते ही मैने अपने डेस्क टाप का हाल-चाल पूछा।मेरे सहयोगी गौरव और ॠषी ने ...
प्रीतीश नंदी* हर आदमी धीरे-धीरे इसीलिए अकेला होता जा रहा है, क्योंकि उसने अब अपने आसपास के लोगों पर भरोसा करना छोड़ दिया है। यह सच है कि अब दुनिया उतनी सरल नहीं रही, जैसी वह कभी हुआ करती थी। लेकिन जैसे ह..
पाप वृत्ति का उन्मूलन पापमयी वृत्ति के उन्मूलन के लिए प्रार्थना ऋग्वेद से ऋ1/97 ध्रुव पंक्ति ..... अप न:शोशुचदधम् ओम् अप न: शोशुचदमग्ने शुशुग्ध्यारयिम् ! अप न: शोशुचदधम् !! ऋ/1/97/1 हे प्रभ...
कल ही एक ब्लोगर मित्र ने फ़ोन पर एक साईट का नाम बताकर उसके जैसी साईट बनाने की इच्छा जाहिर कर जानना चाहा कि ऐसी साईट कैसे बनाई जा सकती है | उनके द्वारा बताई गयी साईट देखने पर पता चला कि वह वेब साईट मिडिया व...
खिल रहे हैं चमन में हजारों सुमन,* *भाग्य कब जाने किस का बदल जायेगा! * * कोई श्रृंगार देवों का बन जायेगा,* *कोई जाकर के माटी मिल जायेगा!! * ** *कोई यौवन में भरकर हँसेगा कहीं,* *कोई खिलने से पहले ही ढल ज...
हाथ जोड़कर पहले कहे देता हूँ, ज्यादा नहीं लिखूंगा, क्योंकि इन जड़-बुद्धि स्वदेशियों की समझ में ख़ास कुछ नहीं घुसने वाला ! मगर क्या करू कहना, लिखना, उपदेश देना अपना पैदाइसी डिस-ऑर्डर है, इसलिए खाली-पीली मगर ...
ज्योतिष शास्त्र मानता है कि ग्रहों के हिसाब से किसी के लिए कोई वर्ष , कोई दिन और कोई घंटा खुशियों भरा होता है , तो किसी के लिए वही वर्ष , वही दिन और वही घंटा तनावपूर्ण भी। पर आसमान में कभी कभी ग्रहों की ...
कारीडोर से रेल लाईन की अनुमति कैसे दी वन विभाग ने! * *पेंच कान्हा कारीडोर से गुजरने वाले ब्राडगेज को अनुमति देना आश्चर्यजनक * *क्या वन एवं पर्यावरण विभाग का बैर सिर्फ सिवनी से ही है?
अजीब लग रहा है तकनीकी ब्लॉग में यात्रा विवरण !! फिर भी शुरू करते हैं । खरोरा से रायपुर बस और रायपुर से दिल्ली के निजामुद्दीन स्टेशन तक छत्तीसगढ़ संपर्क क्रांति से २० घंटों की यात्रा के बाद हरिद्वार जाने के ...
अविनाश वाचस्पति कहते हैं- इसे ब्लॉगचर्चा न समझें : यह पोस्टचर्चा है ब्लॉगर भाईयों
पोस्ट संख्या है 201 : देख ब्लॉगर देख : सिर्फ झांकने से काम नहीं चलेगा : यहां पर बहुत कुछ मिलेगा
मैं जब कभी अपना नाम रेत पर लिखता हूँ रेत पर लिखा गया मेरा नाम मिट जाता है. वे अपनी जुबान से मुझे पत्थर दिल कहते हैं पर पत्थर पर लिखें गए नाम मिटते नहीं हैं. ००००० अपने हाथों से समेटो सारे सितारों को बस दूर...
अनिल अतरी कहते हैं- उत्तरी दिल्ली के नथुपुरा का दुकानदार कल शाम यमुना मैं गिर गया और अब तक भी नही मिल पाया हैं मेरे को इस ब्रह्माण्ड के लौकिक और अलौकिक रहस्यों की जिज्ञासा सदेव रही है, पड़ाई तो विज्ञान की की है, भौतिक शास्त्र, रासयन शास्त्र और कुछ सीमा तक जीव और वनस्पति विज्ञान, स्नातक का अध्यन किया ट हम वो हैं जो हम है नहीं --
उत्तरी दिल्ली के नथुपुरा का दुकानदार कल शाम यमुना मैं गिर गया और अब तक भी नही मिल पाया हैं ....प्रशाशन दुड़ने में लगा हैं .. दरअसल कल शाम करीब पञ्च बजे घनश्याम उर्फ घांसी राम लाईट जाने पर बाजार से ल...
हमेशा की तरह आज भी मित्र से मिलने ही जा रहा था, फर्क सिर्फ इतना कि सायकिल के बजाय पैदल था | अचानक अंकल-अंकल की आवाज़ लगाता एक लड़का बदहवास मेरी और दौडा आ रहा था | मैं कुछ डर सा गया | वो संथाली-हिंदी मिला क...
ये सीने में कैद ज्वार- भाटे उफन कर बाहर आने को आतुर जब होते हैं अपने साथ विनाश को भी दावत देते हैं कहीं अरमानो के मकानों को धराशायी कर जाते हैं कहीं हसरतों के वृक्ष उखड जाते हैं तमन्नाओं की सुनामी म...
हमहमवोहैं,जोखेलकरवासकते हैं,खेलकरसकते हैं,परखेलसकते नहीं।देसकते हैंपरमेडल,लेसकते नहीं।बन सकते हैंकिरायेदार,परखरीदारहो सकते नहीं।हमवो हैं,जोहम हैंनहीं,औरहोसकते नहीं।.. |
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
कल फिर मिलेंगे
7 comments:
बढिया चौपाल .. अच्छे पोसटों की !!
बहुत ही उम्दा लिंक मिले.....मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभारी हूँ . समय मिले तो कभी समयचक्र पर भी आयें....
महेंद्र मिश्र जबलपुर.
बहुत उम्दा चौपाल ....आभार
काफ़ी अच्छे लिंक्स के साथ एक बहुत ही सुन्दर चौपाल सजाई है।
बहुत सुंदर चौपाल भाईसाहब ...!!
सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।
बहुत ही सुंदर सजावट है ब्लाग-चौपाल की . बधाई
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