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एक डायरी का दर्द..., तोर बिन सजनी नींदे नई आवय, कईसे गुजारंव रात .-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Sunday, August 22, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज   

सप्ताह का पहला दिन है आज और फिर कल है रक्षाबंधन का त्यौहार, सभी के लिए यह सप्ताह सुशद रहे यही कामना करते हैं और आज की चर्चा का आगाज करते हैं....
पीपली लाईव क हीरो ओंकार दास उर्फ नत्‍था, फिल्‍म के प्रमोशन के बाद भिलाई वापस आने पर अपनी पत्‍नी से फिल्‍मी स्‍टाईल में मिलते हुए. *निवेदन : शीर्षक को पढने के बाद .... रघुवीर यादव का डायलाग याद मत करिए . ...
काफी लम्बी है पर कुछ ऐसा था दिमाग में जो लिखता ही रहा...लम्बाई के लिए माफ़ी चाहूँगा... मुझमें जान नहीं, पर किसी की उम्र का एक टुकड़ा चखती हूँ... कोरे काग़ज़ों, कुछ गीले पन्नों को खुद में सम्हाले रखती हूँ...
आओ बात करें बस हिन्दुस्तान की ज्ञानचन्द ’मर्मज्ञ’ बनारस की रसमयी धरती के सपूत श्री ज्ञानचंद मर्मज्ञ समकालीन कविता में एक अमूल्य हस्ताक्षर के रूप में उभरे हैं। जन्म से भारतीय, शिक्...
आज की सबसे पहली चर्चा हाजिर है …………आज का सबसे बडा सच भी तो यही है जिसने लोगों का जीना दुश्वार किया हुआ है तो क्यों न इसी से शुरुआत की जाये…………… *कॉमनवेल्थ खेल* कभी प्यार का इंटरव्यू देखा औ...
आज, 23 अगस्त को मुझे कुछ कहना है वालीं नीलिमा सुखीजा अरोड़ा का जनमदिन है। बधाई व शुभकामनाएं *आने वाले ** जनमदिन आदि की जानकारी अपने ईमेल में प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें अपने मोबाईल फोन पर **SMS ...
संजय सेन सागर कहते हैं- असुविधा के लिए खेद है ,बहुत जल्द नए रूप में मिलते है
हिन्दुस्तान का दर्द को तकनीकी एवं सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से कुछ सुधार किये जा रहे है जिस वजह से नियमित लेखन में कुछ व्यवधान पड़ रहा है जिसके लिए हमें खेद है.. अगर आप हिन्दुस्तान का दर्द को तकनीकी एव...
sadhu_with_mobile_phone-afp] "हैलो!…इज़ इट...+91 804325678 ?”... "जी!..कहिये"... "सैटिंगानन्द महराज जी है?"… "हाँ जी!...बोल रहा हूँ..आप कौन?" "जी!…मैँ...
 
कुछ ब्लाँगर साथियोँ ने ईमेल किया और शिकायत कि है कि उनके चिट्ठे को अभी तक चिट्ठा संकलक चिट्ठाप्रहरी मे शामिल क्यो नही किया गया है । हो सकता है कि आपका ब्लाँग चिट्ठाप्रहरी पर हो और उसके सामने NO DETA FOUND ...
आज 22 अगस्त को व्यंग्य सम्राट स्व. हरिशंकर परसाई का 86 वा जन्मदिवस है, आइये उनकी याद में उनकी कुछ रचनाओं से कुछ उद्धरण पढ़ते हैं।* 1.इस देश के बुद्धिजीवी शेर हैं,पर वे सियारों की बरात में बैंड बज...
प्यार में मिली तेरी हर रुसवायी पे जान जाती रही * *जो भी तूने दे दिया, तेरा तोहफा समझ मुस्कुराती रही * * * *हर मोड़ पे तेरी नज़दीकियाँ हाथ मुझसे छुड़ाती रही * *हर फांसले की आहट मेरे अरमानों...
परिणिति हम यानि मैं और तुम कितने खुश थे मैं मदमस्त तुम आश्वस्त तुम सदा ही अपनी बाहें फैलाए मैं उनमें लिपटती, झूलती,फिसलती उनके बीच से निकलती सारा सारा दिन अठखेलियाँ करती कभी दूर जा बैठती...
माह सितम्बर १९८२ की कोई तारीख रही होगी जबकि मैं उससे मिला था , बाज़ार से गुजरते हुए एक मित्र नें उससे परिचय करवाया , तब वो अपने टेंट हाउस व्यवसाई मित्र की दुकान में बैठा हुआ था , बड़ी गर्मजोशी ...
पता नहीं बेटा... बेटा- संगठन चुनाव में मोती लाल वोरा ने बाकी कांग्रेसियों को चारोखाने चित कर दिया। पिताजी- हां बेटा। वोरा जी के सामने बाकी कोई लगते कहां है। सालों से उन्हीं का कब्जा है बेटा- तो क्या छत्तीसग...
 अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 

4 comments:

vandana gupta August 22, 2010 at 10:59 PM  

बेहद सुन्दर चौपाल सजाई है…………काफ़ी लिंक्स मिले………॥आभार्।

उम्मतें August 23, 2010 at 10:45 AM  

संजीव तिवारी जी नें आज महफ़िल लूट ली है :)

राजीव तनेजा August 25, 2010 at 12:05 PM  

बढ़िया लिंक्स...
मेरी कहानी शामिल करने के लिए धन्यवाद

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