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क्यों है मौन, कुछ तो बोल- हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के आसाराम बापू कौन-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Friday, August 20, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
इन दिनों हम अपनी पत्रिका खेलगढ़ का नया अंक निकालने में व्यस्त हैं, फिर अखबार में काम भी ज्यादा है, ऐसे में हम कुछ ज्यादा नहीं लिख पा रहे हैं, फिर भी कोशिश रहती है कि कम से कम ब्लाग चौपाल को  नियमित रखा जाए, इसमें हम अब तक तो सफल रहे हैं....
बतलाइये जल्‍दी से दौड़ाइये मानस बहुत तेज जिनकी आती हैं खूब सारी पोस्‍टें या उनकी पोस्‍टों पर आती हैं बेशुमार टिप्‍पणियां। वही हो सकते हैं या हो सकते हैं कौन मत रहिये मौन शीघ्र बतलाइये पूछ कर भी आ सकते हैं औ...
Oh! So you are from Lalu's place?" यह एक ऐसा जुमला है जो बिहार से बाहर निकलने पर जाने कितनी ही बार सुना हूँ.. मानो बिहार में लालू के अलावा और रहता ही ना हो.. वह चाहे कोई भी हो, उसे जैसे ही पता चलता है कि...
पिछले पंद्रह दिनों से मीडिया में चिल्‍ल पों चालू आहे, ओंकार .... नत्‍था ....... पीपली लाईव ....... आमीर खान ....... अनुष्‍का रिजवी। यहां छत्‍तीसगढ़ भी इस मीडिया संक्रामित वायरल के प्रकोप में है। रोज समाचार...
देश के सबसे निचले तबके पर काम कर रहे व्यक्तियों के लिए आज राहत की खबर आई। उनके वेतन को बढ़ा दिया गया है। अब देश के इस सबसे कमजोर कड़ी का वेतन 16 हजार रु0 से बढ़ा कर 50 हजार रु0 कर दिया गया है। सांसद कहे ज...
श्रोता दिवस पर रेडियो श्रोताओं का राष्ट्रीय सम्मेलन* रेडियो आज भी सबसे शक्तिशाली माध्यम :* श्री बृजमोहन अग्रवाल* रेडियो की महत्ता और उपयोगिता आज भी कायम : *श्री अशोक बजाज* *श्री मनोहर महाजन* की पुस्तक *'...
ये कहना जरा भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह लम्बी कहानी सचमुच पाठकों ने ही लिखवा ली. जैसा कि पहले भी मैने जिक्र किया ,छः पेज की कहानी को ४ पेज में कर के , सिर्फ ९ मिनट में समेटी थी ..... और सोचा ,अब तो अप...
डॉ महेश सिन्हा बता रहे हैं- ब्लॉग अड्डा से कुछ नयी खबरें और पुरस्कार
'Frames of Freedom' Photo Contest Every day our eyes witness many moments of freedom, joy and happiness. Don’t you wish that time should freeze at the very moment? Wouldn’t you love to capture it and shar...
ब्लॉग देर से खुलने या न खुलने वाली *शिकायतों की रफ़्तार बढ़ती जा रही *है। कोई ऐसा दिन नहीं होता जब किसी जाने अनजाने ब्लॉगर साथी द्वारा इस बारे में सम्पर्क नहीं किया जाता। हालांकि थोड़ी हिचकिचाहट तो होती है...
आज इंसान खुद को स्वस्थ्य और दीर्घायु बनाने के लिए कितनी जोड़-तोड़ कर रहा है। तरह-तरह की दवाईयां, तरह-तरह की पैथियां, तरह-तरह के उपकरण लगे हुए हैं आदमी को सौ साला बनाने के लिए। भरी रहती हैं पत्रिकाएं, अखबारें..

दुश्मनी के उत्तराधिकार अंधेरों की बेलों से बाँध थमा दिए गए इंसान को.. जिन्हें बैलगाड़ी के लोहे से बंधे सख्त पहियों की मदद से खींच रहा है नया युग.. रफ़्तार पकड़ते स्वचालित वाहनों की दौड़ में हम मन के कसैले...
आप क्या भूल गए हैं .... आज राष्ट्रिय रेडिओ दिवस है ... जब पंडित जवाहर लाल जी नेहरू जी निधन हुआ था तब मेरी उम्र बहुत कम करीब चार या पांच साल करीब की रही होगी . उस समय हर किसी के पास रेडिओ नहीं हुआ करते थे ....
लाडो पे लाड़ ना आए जहांगीताश्री...एक ठाकुर परिवार में अनेक नवजात कन्याओं की मौत हुई। अब उसकी केवल एक बेटी है। एक बेटी को मां ने ही बेरहमी से मार डाला। नवजात को मुंह में तंबाकू भरकर नाले में फेंक दिया गया। कि...
 एक छोटा मुफ्त औजार जो आपके कंप्यूटर को जरुरी सुरक्षा मानदंडो पर जांचता है और बताता है कि आपका कंप्यूटर कितना सुरक्षित है । ये टूल बस एक क्लिक से ही आपके कंप्यूटर पर # Antivirus # Antispyware # Third-par...
रवीन्द्र प्रभात पूछते हैं- क्या हम इस आजादी से खुश हैं ?
अभी ब्रेक के पहले हम खुशदीप सहगल जी के विचारों से रूबरू हो रहे थे, उनके तेवर कुछ ज्यादा ही कड़े दिखे ! अब मैं जिस चिट्ठाकार के विचारों से आपको रूबरू कराने जा रहा हूँ उनके भी विचार कमोवेश वैसे ही है ! नाम 
पी.सी.गोदियाल कहते हैं- गिद्ध बैठे होंगे, प्रजातंत्र की डाल पर !
शहीदों ने कभी सोचा न होगा शायद इस सवाल पर, इक रोज उनका मादरे वतन होगा अपने ही हाल पर। आम-जन ढोता फिरेगा, अपने ही शव को काँधे लिए, और पंख फैलाए गिद्ध बैठे होंगे,प्रजातंत्र की डाल पर॥ ख़त्म हो ज...
बेल बूँटों सा टाँका था कभी यादों को दिल की उजली मखमली चादर पर बरसों बाद जो तह खोली तो वक्त की गर्द में दबे बेल बूँटे अपना रंग खो चुके थे सिर्फ बेरंग, मुड़ी - तुड़ी कटी- फटी सी यादें अपने घावों को सहलाती...
सेलिब्रेशन आजकल फ़ैशन के साथ-साथ स्टेटस सिंबल बन गया है।खासकर युवा पीढी तो सेलिब्रेशन कि दिवानी हो गई है।सेलिब्रेट करने का कोई मौका हाथ से नही जाने देती।ठीक है अच्छी बात है खूबसूरत पलों को यादगार बनाने के ल...
सात वर्ष पहले आजके दिन यानि 20-08-2003 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी थी। 19 और 20 के बीच की रात कभी सोते-कभी जागते निकली। मुझे झपकी लगती और अन्जू मुझे उठाती - "दर्द हो रहा है"। मैं उसके साथ बैठकर उसे सहलाता रह...
  अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 

4 comments:

vandana gupta August 20, 2010 at 11:12 PM  

आज की चौपाल भी शानदार सजाई है………………काफ़ी लिंक्स मिले ……………आभार्।

संगीता स्वरुप ( गीत ) August 21, 2010 at 12:31 AM  

बहुत बढ़िया चौपाल ...आभार

rashmi ravija August 22, 2010 at 3:05 AM  

badhiya charcha rahi...shukriya

पी.सी.गोदियाल "परचेत" August 23, 2010 at 11:45 PM  

शानदार चौपाल,राजकुमार जी , आश्चर्य होता है सीमित टिप्पणिया देखकर कि लोग वाह-वाही करने भी जात-विरादरी देखकर पहुचते है शायद ! खैर मैं तो हूँ ही लेट लतीफ़ लेकिन आपको रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाये !

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