नन्ही शिकायत, क्या महिलाओं की सफलता के पीछे किसी का हाथ नहीं है.......?-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Wednesday, August 18, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
चलिए देखे किस ब्लागर ने क्या लिखा है आज
अक्सर यह सुनने में आता है की पुरुषों की सफलता के पीछे किसी न किसी(माँ ,पत्नी, बहन) रूप में एक महिला का हाथ होता है। ऐसे में यह सवाल भी लाज़मी है की दुनिया भर में अपनी कामयाबी का परचम लहराने वाली भारतीय महिला
मृणाल पांडे उत्कट सामाजिक तथा राजनीतिक आलोड़नों से भरपूर उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के भारतीय लेखक-लेखिकाओं की जिंदगी कई बार उनके साहित्य से अधिक दिलचस्प लगने लगती है और वह है भी। लेकिन किसी भी
उषा राठौड की बेटियों के प्रति सामाजिक सोच पर प्रहार करती एक मार्मिक रचना पढने के लिये यहां चटका लगायें
आज परिचर्चा (आपके लिए आज़ादी के क्या मायने है ? ) का पांचवा दिन है, आईये इस परिचर्चा को आगे बढाते हैं और दिन की शुरुआत करते हैं श्री प्रमोद तांबट जी से- * आज़ादी के मायने मेरे लिए व्यापक समूह की उत्पादन गति...
इधर-उधर से अनुदान लेकर कला फिल्में बनाने वाले पटकथा लेखक, निर्माता एवं निर्देशक मणिकौल की फिल्म बादल द्वार इन दिनों ब्लू फिल्मों के बीच बिक रही है। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले मणिकौल ने भास के अविमारक जाय...
आज के ६ दोहे बिना किसी लाग-लपेट के प्रस्तुत हैं सम्बन्धों की इस कदर टुकड़े-टुकड़े डोर पिता खड़ा इस ऒर तो पुत्र खड़ा उस ऒर पिता-पुत्र में ठन गयी निकल पड़ी तलवार बूढ़ा बरगद रो पड़ा देख समय की धार हाथ-पांव
माँ पर बहुत-सी कविताएँ लिखी गई है.सदियों से लिखी जाती रही है. शायद भविष्य में भी लिखी जायेंगी. माँ है ही ऐसी शख्सियत.. अपने ब्लॉग पर मैं इसके पहले भी माँ पर, धरती माँ पर और गौ माता पर कविताएँ लिखी है. मुझ...
ये पुस्तक आजाद हिंद फौज की रानी झाँसी रेजिमेंट लेफ्टिनेंट मानवती आर्या की पुस्तक है - *"नो डैथ नो एयर क्रेश " * इस पुस्तक में नेताजी के गुमनामी का रहस्य उजागर किया गया है. ...
शिवम् मिश्रा बता रहे हैं- नेताजी की मृत्यु १८ अगस्त १९४५ के दिन किसी विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी।
अलार्म कई बार बजने के बाद अब और बजने से इनकार कर चुका था|रात की खुमारी ऐसी छाई थी कि निद्र देवता भी लाख भगाए नहीं भाग रहे थे और भागते भी क्योंकर? रात पौने तीन बजे तक लिखने-लिखाने के बाद ...
कब तक रहोगे, मुंह को छुपाये नकाब में* *कब तक रहेगा, चाँद सा चेहरा हिजाब में"* आज सुनिये उस्ताद राहत फतेह अली खान जी का एक बेहतरीन मेरा पसन्दीदा कलाम इसकी अवधि करीबन 15 मिनट है। खाली समय में आराम से सुनिये...
धरती की हरियाली पर मन उदास है, कोई फर्क़ नहीं पडता कि आपके आसपास कौन है, क्या है? आप खुश हैं तो जंगल में भी मंगल है वरना सारा विश्व एक खाली कमंडल है. इतने दिनों की बात में जब हम कुछ भी नहीं समझ पाते
राजनीति में चम्मच शब्द का प्रयोग बहुत सुना था, अब तो इन चम्मचों ने पत्रकारिता का रुख कर लिया है. मैं बात कर रहा हूँ "हिन्दुस्तान" की. नेशनल लुक , डोल्फिन स्कूल और हिन्दुस्तान के मालिक राजेश शर्मा ने फिर अप...
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
कल फिर मिलेंगे
5 comments:
आज तो काफ़ी लिंक्स मिल गये………………बहुत सुन्दर चौपाल सजाई है…………आभार्।
शुक्रिया।
वैसे आपकी पोस्ट के शीर्षक का अगर जवाब दिया जाए, तो काफी लोग नाराज हो सकते हैं। इसलिए चुप रहने में ही भलाई है।
वाह जी बहुत अच्छा संयोजन किया है.
बहुत बढ़िया लिंक्स मिले ..
बढ़िया लिंक्स...मेरी कहानी को स्थान देने के लिए शुक्रिया
Post a Comment