क्वींस बैटन आई, दिलों में छाई, तू जहाँ जहाँ चलेगा , वोनेज साथ देगा,- ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Wednesday, August 11, 2010
क्वींस बैटन अपने शहर में है और सुबह से ही बहुत काम है ऐसे में लगा था कि आज शायद चर्चा करना संभव नहीं होगा, लेकिन मन में चाह थी तो वक्त निकल ही गया....
कामनवेल्थ की क्वींस बैटन का बुधवार की रात को रायपुर आगमन हुआ। बैटन दल के कमांडर वीएन सिंह ने बैटन खेलमंत्री लता उसेंडी और महापौर किरणमयी नायक को सौंपी। गुरुवार को राजधानी में दोपहर दो बजे बैटन रिले का आयो...
आपको कैसा लगेगा यदि आपके घर के फोन से ६०-७० देशों में फ्री में बात हो सके ? और आपका फोन नंबर एक ही रहे, कहीं भी किसी भी देश में उठाकर घूमो उस फोन को ? अमेरिका की एक कंपनी इस तरह की फोन सेवाएं देती हैं ...
यह करतूत गूगल दादा की नहीं, हमारीवाणी की है। उसकी कारगुजारी से बचिए। ब्लॉगजगत पर आतंकवादी हमला इस हमले की जद में आने से बचें और सभी को बचाएं। तुरंत इस पोस्ट को सबके पास पहुंचाएं। आप सभी जिनके ब्लॉग ...
मेरे पति (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") ने* * स्वाधीनता-दिवस पर यह * *गीत लिखा था।* *इसे मैं अपनी आवाज में * *प्रस्तुत कर रही हूँ-* *श्रीमती अमर भारती * ** *मेरे प्यारे वतन, जग से न्यारे वतन। मेरे प्यार...
ऑंच – 30 अरुण राय की कविता 'कील पर टंगी बाबू जी की कमीज' **** हरीश प्रकाश गुप्त प्रयोगवाद के अनन्य समर्थक अज्ञेय ने अपने चिंतन से स्वातन्त्रयोत्तरी कविता को नई दिशा दी। उन्होंने परम्परागत प्रतीकों और ..
अंत्योदय * *- पं. दीनदयाल उपाध्याय का चिंतन* पं.दीनदयाल उपाध्याय महान राष्ट्रभक्त गरीबों के मसीहा,अंत्योदय के जनक तथा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रणेता थे उन्होने देश की राजनैतिक एंव आर्थिक दशा व दिशा ...
जब चाहतें थीं तो हर हसरतें फ़ना हो गयी अब चाहतें नहीं तो हर हसरत जवाँ हो गयी कल जब बुलाते थे तो दूर छिटक जाते थे आज बिन बुलाये चले आते हैं ये कैसे हसरतों के साये हैं बंद किवड़िया खडकाए हैं खुशियों के दर...
संगीता पुरी बता रही हैं- शुक्र की सितंबर से दिसंबर 2010 तक की खास स्थिति का आपपर कैसा प्रभाव पडेगा ??
पिछले आलेख में 13 अगस्त को आसमान में दिखाई देने वाले शुक्र चंद्र युति कीमैने चर्चा की है। सिर्फ 13 अगस्त को ही नहीं , आने वाले दिनों में लगभग पांच महीनों तक यानि 11 सितंबर , 9 अक्तूबर , 2 दिसंबर , 31 दिस...
प्रिय बन्धु संस्कृतप्रशिक्षणकक्ष्या का नौवां अध्याय प्रस्तुत कर रहा हूँ । संस्कृतप्रशिक्षणकक्ष्या - नवमो अभ्यास: आप सब के सहयोग के लिये बहुत आभार एवं धन्यवाद ।।
शानू शुक्ला कहते हैं- वो आज फिर से अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
वो आज फिर से * * पनघट पर उदास बैठी है, * * तेरा इंतज़ार करके,* * कि तू आज फिर से नही आया * * खाली किश्तियों ने * * गवाही दी उसको..!!*
शनिवार रात...कोई डेढ़ बजे का समय...कुछ लोग जिंदगी पर बात करते करते अचानक सेंटी हो जाते हैं...और समंदर देखने की इच्छा होती है. बंगलोरे चेन्नई एक्सप्रेस वे के बारे में गूगल बताता है कि कुछ दो सौ किलोमीटर है......
कृषि मंत्नी शरद पवार ने कहा है कि देश में अनाज भंडारण की समस्या से निपटने के लिए अगले दो तीन वर्षो में व्यापक कदम उठाए जायेंगे और गोदामों में सड़ रहे खाद्यान्न के संबंध में उच्चतम न्यायालय को सरकार ...
निकली वो घर से कॉलेज के लिए थी रास्ते में बजी सिटी उड़ी फब्ती नजर तक ना उठा सकी चुनरी संभालती तेज क़दमों से पहुंची सिटी बस स्टैंड एक कागज की पुड़िया टकराई उस से और गिरी पैरों में डरते हुए उठाई खुलते ही पुड...
दम ब दम दिल धड़कने लगा , दम ब दम मैं खोने लगा , दम ब दम मूंदी आँखोंमें तेरा चेहरा दिखने लगा , दम ब दम मैं रातोंकी नींदों में भी जागने लगा ..... ================================ सितारोंमें देखते देखते खोने लगे...
कल फिर मिलेंगे
2 comments:
बहुत अच्छी चर्चा .. आभार !!
बढ़िया चौपाल ...अच्छे लिंक्स मिले
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